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________________ करने के लिए उन पर लिखी गई विस्तृत व्याख्याएं । 4. नियुक्ति के आधार पर अथवा स्वतन्त्र रुप से लिखी गई पद्यात्मक व्याख्याएं । प्र.123 भाष्य की रचना किस भाषा में होती है ? उ. प्राकृत भाषा में संक्षिप्त शैली में होती है। प्र.124 प्रमुख भाष्यकार कौन-कौन हुए ? उ. आचार्य संघदास गणी, आचार्य क्षमाश्रमण जिनभद्र आदि । प्र.125 चूणि किसे कहते है ? उ. "अत्थ बहुलं महत्थं हेउनिवाओवसग्ग गंभीरं । बहुपाय भवोछिन्नं गमणयसुद्धं तु चुण्णपयं ॥" जिसमें अर्थ की बहुलता व गंभीरता हो, हेतु, निपात और उपसर्ग की गंभीरता हो, अनेक पदों से समवेत हो, गमों से युक्त हो, नयों से शुद्ध हो, उसे चुणि कहते है। प्र.126 गम किसे कहते है ? गम यानि अर्थमार्ग, पदार्थ को जानने, समझने और विशेष रुप से पहचानने ' के विविध मार्गों को गम कहते है । अर्थात् सूत्र में रही हुई अर्थ बोधन - शक्ति को, जो उस-उस अर्थ की अभिव्यक्ति करने में उपायभूत है । प्र.127 नय किसे कहते है ? .उ. वस्तु में अनेक धर्म होते है, उसमें से किसी एक धर्म के द्वारा वस्तु का .. निश्चय करना, नय है। जैसे - नित्यत्व धर्म के द्वारा 'आत्मा/ प्रदीप आदि वस्तु नित्य है ।' नय सदैव वस्तु के एक अंश का बोध कराता प्र.128 चूणि किस भाषा व शैली में रची जाती है ? उ.. संस्कृत मिश्रित प्राकृत भाषा व गद्य शैली में रची जाती है। . ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 31 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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