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शमर्पण
जिनकी गोद में मुझे संयम की छांव मिली ! जिनकी अमीवृष्टि से मुझे जीवन की राह मिली ! जिनकी वाणी में अमृत की धार मिली ! जिनकी रत्नत्रयी साधना से आत्म-प्रेरणा की फुंहार मिली !
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पूजनीया... अहर्निश वंदनीया... गुरूवर्या डॉ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म.सा.
के स्वर्ण जन्मोत्सव (वि. सं. 2070 ज्येष्ठ सुदि 6)
के उपलक्ष्य में श्रद्धासिक्त भावों के साथ
सादर समर्पित
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For Personal & Private Use Only साध्वी विज्ञांजना श्री
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