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4. गोचरी से पूर्व पच्चक्खाण पारने के समय 'जयउ सामिय' का
चैत्यवंदन। 5. संध्याकालीन गोचरी के पश्चात् (मात्र पानी की छूट / तिविहार चौविहा
पच्चक्खाण) 'जयउ सामिय' का चैत्यवंदन । 6. दैवसिक प्रतिक्रमण के प्रारंभ में 'जय तिहुअण' का चैत्यवंदन। - 7. संथारा पोरिसी पढते समय 'चउक्कसाय' का चैत्यवंदन । नं.1296 तपागच्छ परम्परानुसार सात चैत्यवंदन कौनसे है ? उ. 1. राइय प्रतिक्रमण में 'विशाल लोचन' का चैत्यवंदन । 2. जिन मंदिर में परमात्मा के दर्शन करते समय कोई सा भी एक
चैत्यवंदन । 3. पच्चक्खाण पारने से पूर्व (गोचरी करने से पूर्व) 'जग चिंतामणी'
का चैत्यवंदन । 4. सांयकालीन गोचरी करने के पश्चात् तिविहार/चौविहार पच्चक्खाण
करने के पश्चात् ‘जग चिंतामणी' का चैत्यवंदन । 5. दैवसिक प्रतिक्रमण में 'नमोऽस्तु वर्धमनाय' (साधुजी भगवंत) और.
'संसार दावा-नल-दाह-नीरं' (साध्वीजी भगवंत) का चैत्यवंदन
करते है। 6. शयन से पूर्व संथारा पोरिसि पढते समय 'चउक्कसाय' का
चैत्यवंदन। 7. प्रातः काल में (जागने के पश्चात्) 'जग चिंतामणि' का चैत्यवंदन। प्र.1297 श्रावक को अहोरात्र में कितने चैत्यवंदन करने का विधान है ?
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तैवीसवाँ चैत्यवंदन प्रमाण द्वार
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