________________
प्र.1264 आ. अपराजित के अनुसार महाव्रतों से सम्बन्धित अतिक्रमण होने
पर कितने श्वासोश्वास के प्रमाण का कायोत्सर्ग करना चाहिए ? उ. 108 श्वासोश्वास का। चा.पृ.158/प. 1, अ.ध.अ.8/72-73/801 प्र.1265 कायोत्सर्ग करते समय मन की चंचलता से उच्छ्वासों की संख्या
के परिगणना में संदेह उत्पन्न होने पर साधक को क्या करना
चाहिए? उ. आठ और अधिक श्वासोश्वास का कायोत्सर्ग करना चाहिए । प्र.1266 अमंगल, विन और बाधा के परिहार (निवारण) हेतु किसका व
कितने श्वासोश्वास प्रमाण का कायोत्सर्ग करना चाहिए ? उ. सव्वेसु खलियादिसु झाएज्झा पंच मंगलं ।
दो सिलोगे व चितेज्जा एगग्गो वावि तत्खणं ॥ बिइयं पुण खलियादिसु, उस्सासा होति तह य सोलस य । तइयम्मि उ बत्तीसा, चउत्थम्मि न गच्छए अण्णं ॥
. व्यवहार भाष्य पीठिका गाथा 118, 119 अर्थात् अमंगल, अपशुकन आदि निवारणार्थ नवकार महामंत्र का ध्यान करना चाहिए। शुभ कार्य के प्रारंभ में, यात्रा में, अन्य किसी प्रकार के उपसर्ग, अपशुकन या बाधा आदि आने पर 8 श्वासोश्वास अर्थात् 1 नवकार का कायोत्सर्ग ध्यान करना चाहिए। दूसरी बार पुनः विघ्न आदि के उत्पन्न होने पर 16 श्वासोश्वास प्रमाण अर्थात् 2 नवकार का कायोत्सर्ग करना चाहिए । तीसरी बार फिर बाधा आदि के आने पर 32 श्वासोश्वास प्रमाण अर्थात् 4 नवकार का कायोत्सर्ग करना चाहिए । चौथी बार भी कष्ट आदि के आने पर शुभ कार्य या विहार यात्रा आदि
342
इक्कवीसवा कायोत्सर्ग प्रमाण द्वार
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org