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________________ . . इक्कवीसवाँ कायोत्सर्ग प्रमाण द्वार प्र.1240 ‘पायसमा ऊसासा' से क्या तात्पर्य है ? उ. एक पाद एक श्वासोश्वास के समान होता है । एक श्वासोश्वास यानि एक पाद को उच्चारण करने में लगा समय । पाद यानि श्लोक का चौथा भाग अर्थात् एक चरण । प्र.1241 कायोत्सर्ग का जनन्य प्रमाण कितना है ? उ. कायोत्सर्ग का जघन्य प्रमाण 8 श्वासोश्वास है। प्र.1242 इरियावहिया का कायोत्सर्ग कितने श्वासोश्वास प्रमाण का होता उ. इरियावहिया का कायोत्सर्ग 25 श्वासोश्वास यानि 1 लोगस्स चंदेसु निम्मलयरा तक । प्र.1243 अरिहंत चेइयाणं के तीन काउस्सग्ग (सव्वलोए अरिहंत चेइयाणं करेमि काउस्सग्गं व सुअस्स भगवओ करेमि काउस्सग्गं) कितने श्वासोश्वास प्रमाण के होते हैं ? उ. तीनों कायोत्सर्ग 8 श्वासोश्वास प्रमाण के होते है । प्र.1244 वेयावच्चगराणं का कायोत्सर्ग कितने नवकार का होता है ? उ. वेयावच्चगराणं का कायोत्सर्ग 8 श्वासोश्वास अर्थात् 1 नवकार का होता प्र.1245 'उद्देससमुद्देसे सत्तावीसं अणुण्णवणियाए । अटेव य उस्सासा पट्ठवणा-पडिक्कमणादि ॥' से क्या तात्पर्य है ? उ. उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा-संपादन में सत्ताईस श्वासोश्वास और प्रस्थापन 332 इक्कवीसवा कायोत्सर्ग प्रमाण द्वार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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