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(खड़ा) अवस्था में कायोत्सर्ग करता है, अर्थात् अशुभध्यान से हटकर प्रशस्त शुभध्यान (धर्म-शुक्ल ध्यान) में रमण करता हुआ खड़ा-खड़ा
जो कायोत्सर्ग किया जाता है, वह उत्थितोत्थित कायोत्सर्ग कहलाता है। प्र.1221 द्रव्योत्थान से क्या तात्पर्य है ? उ. शरीर से खम्बे के समान खडा रहना, द्रव्योत्थान है। प्र.1222 भावोत्थान से क्या तात्पर्य है ? उ. ज्ञान का एक ध्येय वस्तु में एकाग्र होकर ठहरना, भावोत्थान कहलाता
प्र.1223 उत्थित-निविष्ट कायोत्सर्ग किसे कहते है ? उ. द्रव्य से खडा होना, भाव से खडा न होना, अर्थात् आर्त और रौद्र ध्यान
से परिणत होकर जो खडे-खडे कायोत्सर्ग किया जाता है, वह उत्थितनिविष्ट कायोत्सर्ग कहलाता है । साधक द्रव्य से उत्थित होने पर भी निविष्ट है। क्योंकि यह शुभ परिणामों की उद्गति रुप उत्थान के अभाव
से निविष्ट है। प्र.122A उपवष्टि-उत्थित (उपविष्टोत्थित) कायोत्सर्ग किसे कहते है ? उ. कोई अशक्त, अतिवृद्ध साधक द्रव्यापेक्षा (शरीरापेक्षा) से खडे खडे
- कायोत्सर्ग नही कर सकता है, परंतु भावापेक्षा (मन की अपेक्षा) से बैठे .. ही धर्मध्यान व शुक्लध्यान में लीन रहता हुआ कायोत्सर्ग करता है, वह
कायोत्सर्ग उपविष्टोत्थित कायोत्सर्ग कहलाता है। प्र.1225 उपविष्ट-निविष्ट (निषण्ण-निषण्ण) कायोत्सर्ग किसे कहते है ? उ.33 अशुभध्यान से बैठे-बैठे जो कायोत्सर्ग किया जाता है, उसे उपविष्ट
+++++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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