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________________ मुद्रा में एक स्थान पर निश्चल खडे रहना, द्रव्य कायोत्सर्ग है । इसे काय : कायोत्सर्ग भी कहते है। प्र.1197 द्रव्य कायोत्सर्ग में किन वस्तुओं का परित्याग किया जाता है ? उ. द्रव्य कायोत्सर्ग में बाह्य वस्तुओं का परित्याग किया जाता है । जैसे उपधि, भक्तपान आदि का त्याग करना । प्र.1198 द्रव्य व्युत्सर्ग के कितने भेद है ? उ. चार भेद है - 1. शरीर व्युत्सर्ग 2. गण व्युत्सर्ग 3. उपधि व्युत्सर्ग 4. भक्तपान आदि का त्याग करना । प्र.1199 शरीर व्युत्सर्ग से क्या तात्पर्य है ? उ. देह व दैहिक सम्बन्धों की आसक्ति का त्याग करना, शरीर व्युत्सर्ग है। प्र.1200 गण व्युत्सर्ग से क्या तात्पर्य है ? उ. 'प्रतिमा' आदि की आराधना हेतु गण एवं गण के ममत्व का त्याग करना, गण व्युत्सर्ग है। प्र.1201 उपधि व्युत्सर्ग किसे कहते है ? उ. वस्त्र, पात्र आदि उपधि के ममत्व का त्याग करना, उपधि व्युत्सर्ग कहलाता है। प्र.1202 भक्तपान व्युत्सर्ग से क्या तात्पर्य है ? उ. आहार, पानी एवं तत्सम्बन्धी लोलुपता आदि का त्याग करना, भक्तपान व्युत्सर्ग है। प्र.1203 भाव कायोत्सर्ग किसे कहते है ? उ. 'भावतो काउस्सग्गो झाणं' आर्त और रौद्र ध्यान का त्याग कर धर्म 318 बीसवाँ कायोत्सर्ग द्वार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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