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________________ उद्देश्यभूत व्यक्ति से अज्ञात होने पर भी अपने कर्ता को इष्टफलकारी होता है । जैसे-स्तोभन-स्तम्भन आदि कर्म । आप्त पुरुषों के उपदेश के अनुमान प्रमाणानुसार वैयावृत्यकारी आदि को उद्देश्य रखकर किया जाने वाला कायोत्सर्ग भी आप्तोपदिष्ट है, अत: कायोत्सर्ग के विषयीभूत व्यक्ति से अज्ञात होने पर भी कर्ता को इष्टफल-संपादक होता है । प्र.1156 शासनदेव को उद्देश्य में रखकर संघ द्वारा कृत कायोत्सर्ग से शासनदेव का सामर्थ्य बढता है इसका क्या प्रमाण है ? शासनदेव को उद्देश्य में रखकर संघ जो कायोत्सर्ग करते है उससे शासन देव के सामर्थ्य में वृद्धि होती है। इसकी पुष्टि निम्नोक्त प्रमाण से होती है। 1. गोष्ठामाहिल के विवाद में - संघुस्सग्गा पायं, वड्डइ सामत्थमिह सुराणं पि । जह सीमंधर मूले, गमणे माहिल विवायम्मि ॥ गोष्टामाहिल के विवाद में सत्यता की जांच हेतु संघ ने सीमंधर स्वामी परमात्मा के पास महाविदेह क्षेत्र में शासन देवी को जाने का निवेदन किया। संघ के निवेदन को स्वीकार करते हुए शासनदेवी ने संघ से कहा - जब तक मैं परमात्मा के वहाँ से वापस लौटकर न आऊँ, तब तक आप सभी मेरी मंगलकामना, निर्विघ्नता और सामार्थ्य वृद्धि हेतु कायोत्सर्ग ध्यान में स्थिर रहना (खडे रहना) । कायोत्सर्ग के प्रभाव से ही शासनदेवी निर्विघ्न परमात्मा के पास जाकर सत्यता की जानकारी लेकर संघ के समक्ष प्रकट हुई। कायोत्सर्ग के प्रभाव से सामर्थ्य बढने के कथन की सिद्धि उपरोक्त कथन से होती है। 2. इसी प्रकार यशा साध्वीजी के सन्देह के निवारणार्थ शासनदेवी '' चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 305 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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