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सोलहवाँ स्तुति द्वार प्र.1025 चारों स्तुति के क्या नाम है ? उ. अध्रुव स्तुति, ध्रुव स्तुति, श्रुत स्तुति और अनुशास्ति स्तुति है । प्र.1026 अध्रुव स्तुति किसे कहते है ? । उ. अध्रुव यानि अनिश्चित । जिसमें अधिकृत जिन (मूलनायक) या चौबीस
जिनेश्वर परमात्मा में से किसी एक विशिष्ट तीर्थंकर परमात्मा की स्तुति
की जाती है, उसे अध्रुव स्तुति कहते है। प्र.1027 प्रथम स्तुति को अधुव स्तुति क्यों कहा जाता है ? उ. प्रथम स्तुति में स्तोतव्य अनिश्चित्त होने के कारण इसे अध्रुव स्तुति
कहते है। प्र.1028 ध्रुव स्तुति किसे कहते है ? उ. जिस स्तुति में स्तोतव्य निश्चित्त होता है, उसे ध्रुव स्तुति कहते है। प्र.1029 दूसरी स्तुति का नाम क्या और क्यों है ? उ. ध्रुव स्तुति है। इस स्तुति में समस्त सर्वज्ञ तीर्थंकर भगवंतों को प्रधानता
दी गई है, किसी एक परमात्मा को विशेष महत्व नहीं दिया गया है,
इसलिए इसे ध्रुव स्तुति कहते है । प्र.1030 सर्व प्रथम मूलनायक परमात्मा की स्तुति क्यों करते है ? उ. प्रत्येक जिन मंदिर में मूलनायक परमात्मा समाधि के मुख्य कारण होते
है, इसलिए सर्वप्रथम उनकी स्तवना करते है। प्र.1031 दूसरी स्तुति में सर्व जिन की स्तवना एक साथ क्यों करते है ? उ. समस्त अरिहंत परमात्मा के गुण धर्म समान होते है इसलिए एक साथ
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सोलहवा स्तुति द्वार
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