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________________ प्र.950 जघन्य से कितने तीर्थंकर परमात्मा विचरण करते है ? उ. बीस | प्र.951 जघन्य बीस तीर्थंकर परमात्मा किस प्रकार होते है ? उ. महाविदेह क्षेत्र पांच है और प्रत्येक महाविदेह क्षेत्र की 8वीं, 9वीं, 24वीं तथा 25वीं विजय में सर्वदा एक-एक तीर्थंकर परमात्मा का विचरण होने से न्यूनतम 20 (54) तीर्थंकर होते I प्र.952 सातवें अधिकार में किसको वंदना की गई है ? उ. अज्ञान स्वरुप अंधकार का नाश करने वाले देव समुह एवं नरेन्द्रों से पूजित तथा मोहजाल को सम्पूर्णतया तोडने वाले 'श्रुत धर्म' की स्तवना गई है। प्र.953 प्रस्तुत श्रुतस्तव के अधिकार में अप्रस्तुत जिनस्तव करना क्या उचित है ? हाँ उचित है, क्योंकि श्रुतज्ञान तीर्थंकर परमात्मा से उत्पन्न होता है । अगर विश्व में तीर्थंकर परमात्मा नहीं होते तो श्रुतज्ञान का प्रादुर्भाव ही नही हो सकता । श्रुत धर्म के जनक होने के कारण श्रुतस्तंव के अधिकार में जिनस्तव करना उचित है । उ. प्र.954 प्रस्तुत श्रुतस्तव में अप्रस्तुत जिनस्तव को किस पद से वंदना की गई है ? उ. 'धम्माइगरे नम॑सामि' पद से वंदना की गई है । प्र. 955 श्रुत धर्म कथित मार्ग का सम्यग् पालन करने से क्या प्राप्त होता है ? चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी Jain Education International For Personal & Private Use Only 249 www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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