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प्र.932 तीसरा अधिकार किस दण्डक सूत्र से सम्बन्धित है ? उ. 'चैत्यस्तव' दण्डक सूत्र से सम्बन्धित है ।
प्र.933 तीसरे अधिकार में किसको वंदना की गई है ?
उ. 'स्थापना जिन' अर्थात् देवगृहादि (जिनालय) में विराजमान जिन प्रतिमा को वंदना की गई है
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प्र.934 चौथा अधिकार किस दण्डक सूत्र से सम्बन्धित है ?
उ. 'लोगस्स (नामस्तव)' सूत्र से सम्बन्धित है ।
प्र.935 लोगस्स सूत्र के अन्य ( अपर) नाम क्या है ?
उ. नामस्तव, चउवीसत्थ सूत, चतुर्विंशति जिन स्तव नाम है ।
प्र. 936 चौथे अधिकार में किसको वंदना की गई है ?
उ. 'नाम जिन' अर्थात् वर्तमान अवसर्पिणी काल के ऋषभादि 24 तीर्थंकर परमात्मा को वंदना की गई है ।
प्र.937 पांचवें अधिकार में किसको वंदना की गई है?
उ.
पांचवें अधिकार 'सव्वलोए अरिहंत चेझमाणं ठामि काउस्सगं' में स्थापना जिन अर्थात् तीन लोक (उर्ध्व, अधो, मध्य) की शाश्वत व अशाश्वत जिनालयों में विराजमान समस्त जिन प्रतिमाओं को वंदना की गई है ।
प्र.938 तीसरे व पांचवें अधिकार में वंदन की अपेक्षा से क्या अन्तर है? उ. तीसरे अधिकार में इहलोक के चैत्यों (प्रतिमा) को वंदना की गई है, जबकि पांचवें अधिकार में समस्त लोक (उर्ध्व, अधो, तिरछा) के चैत्यों
को वंदना की गई है ।
चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी
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