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________________ नौवाँ पद द्वार प्र.792 पद किसे कहते है ? उ. अर्थ समाप्ति दर्शक वाक्यों को पद कहते है । चैत्यवंदन महाभाष्यानुसार जहाँ अनेक शब्दों का अर्थ पूर्ण विवक्षित होता है, उसे पद कहते है। सिद्ध हेम. के अनुसार जिस शब्द के अंत में विभक्ति हो, उसे पद कहते है। प्र.793 चैत्यवंदन के कुल कितने पद होते है ? उ. चैत्यवंदन के सात सूत्रों में एक समान शब्द, जो दूसरी बार बोलने पर गणना नही की जाय, ऐसे अर्थ समाप्ति सुचक पद एक सौ इक्यासी है। इच्छामि खमासमणो सूत्र व प्रणिधान त्रिक सूत्र, इन दो सूत्रों के पदों की गणना नही की गई है। प्र.794 अक्षर गणना व पद गणना के क्या सूत्र पाठ में भिन्नता है ? उ. हाँ, भिन्नता है । अक्षर गणना में सम्पूर्ण सूत्र के अक्षरों की गणना की ___गई है, जबकि पद गणना में सम्पूर्ण सूत्र को महता नही दी गई है। प्र.795 नवकार महामंत्र में कितने पद होते है और पदों की गणना कहां से कहाँ तक की गई है ? । उ. नवकार महामंत्र में कुल 9 पद होते है और पदों की गणना 'नमो अरिहंताणं से हवइ मंगलं' तक की गई है। प्र.796 इरियावहिया में कुल कितने पद है और इस सूत्र में पद की गणना कहाँ से प्रारंभ हुई है ? 210 नौवाँ पद द्वार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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