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________________ तक की गई है। प्र.772 श्रुतस्तव में कितने लघु, गुरू व सर्वाक्षर है ? उ. श्रुतस्तव में 182 लघु, 34 गुरू व 216 सर्वाक्षर है। प्र.773 'सिद्धस्तव' किस सूत्र का गौण नाम है ? उ. सिद्धस्तव 'सिद्धाणं बुद्धाणं' सूत्र का गौण नाम है । प्र.774 सिद्धाणं बुद्धाणं सूत्र को सिद्धस्तव क्यों कहा जाता है ? उ. क्योंकि इस सूत्र में समस्त सिद्धों की स्तवना की गई है, इसलिए इस सूत्र को सिद्धस्तव कहा जाता है। प्र.775 सिद्धस्तव में अक्षरों की गणना कहाँ तक की गई है ? उ. सिद्धस्तव में अक्षरों की गणना 'सिद्धाणं बुद्धाणं से लेकर सम्मदिट्ठि समाहिगराणं' तक की गई है। प्र.776 सिद्धाणं बुद्धाणं के लघु, गुरू व सर्वाक्षर बताइये ? उ. सिद्धाणं बुद्धाणं में 151 लघु अक्षर, 25 गुरू अक्षर व 176 सर्वाक्षर है। जबकि वेयावच्चराणं में 18 लघु अक्षर,4 गुरू अक्षर व 22 सर्वाक्षर है। इस प्रकार सम्पूर्ण सिद्धस्तव में 169 लघु अक्षर, 29 गुरू अक्षर व 198 सर्वाक्षर है। प्र.777 वेयावच्चगराणं सूत्र में किसका कथन किया गया है ? उ. इस सूत्र में शासन रक्षक सम्यग्दृष्टि देवों का स्मरण करके धर्म में स्थिरता व समाधि की कामना का कथन किया गया है । प्र.778 प्रणिधान त्रिक किसे कहते है ? उ. जावंति चेइयाई, जावंत केवि साहू एवं जय वीयराय सूत्र; इन तीनों सूत्रों को प्रणिधान त्रिक कहते है। प्र.779 जावंति चेइयाइं सूत्र का गौण नाम क्या है ? ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ 206 आठवाँ वर्ण द्वार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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