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________________ भाग जाते है । अत: इन जीवों की विराधना से बचने के उद्देश्य से कर्पूर प्रज्वलित करते है। प्र.404 आरति में दीपक प्रज्वलित करने का प्रयोजन क्या है ? उ. जैसे दीपक प्रज्वलित होने के पश्चात् शांत हो जाता है वैसे ही मेरे अन्तर मन-मानस मे धधकती कषाय रुपी अग्नि शांत हो जाए । प्र.405 आरति क्यों की जाती है ? उ. दृष्टि दोष निवारण हेतु आरती की जाती है । प्र.406 आरति उतारते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? उ. 1. कपाल पर तिलक अवश्य होना चाहिए । ___2. सिर ढका अर्थात् पुरुष वर्ग को सिर पर टोपी, पगड़ी आदि धारण ____ करनी चाहिए और स्त्री वर्ग का सिर भी दुपट्टे अथवा साडी के पल्लु से ढका होना चाहिए। ... 3. कंधे पर खेस (उतरासंग) धारण करना चाहिए । प्र.407 आरती को थाली से बाहर कब निकालना चाहिए ? उ. मंगल दीपक को थाली में रखने के पश्चात् आरति को थाली से बाहर ... निकालना चाहिए। 4.408 आरति और मंगल दीपक किसके करने चाहिए ? उ. घी, गोल. और कर्पूर के करने चाहिए । लौकिक कथन है कि कर्पूर का दीपक करने से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है और कुल का उद्धार होता है। प्र.409 ध्वजा को देखकर मुलनायक परमात्मा की अवस्था (अरिहंत/ सिद्ध) का ज्ञान कैसे होता है ? H t t++++++++++++++++++++++++++++++++ चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी 99 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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