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________________ मैं सहृदय कृतज्ञ हूँ आदरणीय भगिनीवृंद पू. शासनप्रभाश्री जी म.सा., पू. डॉ. नीलांजनाश्री जी म.सा., पू. प्रज्ञांजनाश्री जी म.सा., पू. दीप्तिप्रज्ञाश्री जी म.सा., पू. नीतिप्रज्ञाश्री जी म.सा., पू. विभांजनाश्री जी म.सा. एवं निष्ठांजनाश्री जी के प्रति, उनका इस लेखन कार्य में आत्मीय सहयोग मिला । सादर कृतज्ञ हूँ आदरणीय विद्वद्वर्य श्री नरेन्द्रभाई कोरडिया के प्रति जिन्होंने अथ से अंत तक कार्य को अपनी पैनी प्रज्ञा से जांचा और आवश्यक निर्देश प्रदान कर कार्य की मूल्यवता में अभिवृद्धि की हैं। उनका यह आत्मीय और प्रेमपगा अवदान मेरी स्मृतिकक्ष में सदैव विराजमान रहेगा । जिनकी आज्ञा से मैंने संयम जीवन स्वीकार किया, उन स्वर्गीय पिताजी श्री रतनचंदजी बच्छावत का भी सादर स्मरण । उनकी आत्मा जहाँ भी हो मेरे साधक जीवन को मंगलमय करे । प्रस्तुत 'कार्य में जो-जो आगम, आगमेतर ग्रंथ एवं अनुवाद कार्य मेरे लिए पगडंडी बने हैं, उन ग्रंथों, ग्रंथ निर्माताओं एवं विवेचकों के प्रति हार्दिक कृतज्ञ हूँ । प्रस्तुत कार्य के सर्जन में जिनका भी प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष सहयोग मिला उन सबके प्रति मैं आभारी हूँ । सबके हार्दिक एवं आत्मीय सहयोग से ही प्रस्तुत कृति का सर्जन संभव हो सका है । प्रस्तुत प्रश्नोत्तरी में मेरे द्वारा वीतराग वाणी के विरुद्ध कुछ भी लिखा गया हो तो उस त्रुटी के लिए मैं पादर क्षन्तव्यं हूँ । प्रबुद्ध स्वाध्यायी वर्ग की सूचनाएं सादर आमंत्रित हैं । पुनश्च वीतराग वाणी को अनंत अनंत वंदना सह Jain Education International विद्युत् चरण रज Vidya साध्वी विज्ञांजना श्री चैत्यवंदन भाष्य प्रश्नोत्तरी For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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