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विषय-सूची
३१
गाथा-संख्या
१५२ १५३
देवायके बन्धके विशेष कारणोंका निरूपण शुभ और अशुभ नामकर्मके .. तीर्थकर प्रकृतिके , तीर्थकर प्रकृतिको सत्तावाले जीवके सिद्धि-प्राप्तिका जघन्य वा उत्कृष्ट काल-वर्णन सायिक सम्यग्दृष्टि जीवकी सिद्धि-प्राप्तिके उस्कृष्ट कालका वर्णन गोत्रकर्मके बन्धके विशेष कारणोंका निरूपण नीचगोत्रके , " " " अन्तरायकर्मके ,, , , ,
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