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________________ २१. कुलप्रभ (१३) आवश्यक वृत्ति २२. राजवल्लभ आवश्यक वृत्ति २३. हितरुचि (सं. १६९७) आवश्यक वृत्ति २४. अजितदेव सूरि आचारांग वृत्ति २५. पार्श्वचन्द्र (सं. १५७२) आचारांग वृत्ति २६. माणिक्यशेखर आचारांग वृत्ति २७. साधुरंग उपाध्याय (सं. १५९९) सूत्र-कृतांग वृत्ति २८. नगर्षिगणि (सं. १६५७) स्थानांग वृत्ति २९. पार्श्व चन्द्र स्थानांग वृत्ति ३०. सुमतिकल्लोल स्थानांग वृत्ति ३१. हर्षनंदन (सं. १७०५) स्थानांग वृत्ति ३२. मेघराज वाचक समयावांग ३३. भावसागर व्याख्याप्रज्ञप्ति ३४. पद्मसुन्दरगणि भगवती व्याख्या ३५. कस्तूरचन्द्र (सं. १८९९) ज्ञाताधर्मकथा ३६. हर्षवल्लभ उपाध्याय (सं. १६९३) उपासक-दशांग ३७. विवेकहंस उपासक-दशांग वृत्ति ३८. ज्ञानविमलसूरि प्रश्नव्याकरण वृत्ति ३९. पार्श्वचन्द्र प्रश्नव्याकरण वृत्ति ४०. अजितदेवसूरि प्रश्नव्याकरण वृत्ति ४१. राजचन्द्र औपपातिक वृत्ति ४२. पार्श्वचन्द्र औपपातिक वृत्ति ४३. राज़चन्द्र राजप्रश्नीय वृत्ति ४४. रत्नप्रभसूरि । राजप्रश्नीय वृत्ति ४५. समरचन्द्र सूरि राजप्रश्नीय वृत्ति ४६. पदसागर (सं. १७००) जीवाभिगम ४७. जीवविजय (सं. १८८४) प्रज्ञापना ४८. पुण्यसागर (सं. १६४५) जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति ४९. विनयराजगणि चतुःशरण आचाराङ्ग-शीलाङ्कवृत्ति : एक अध्ययन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004238
Book TitleAcharang Shilank Vrutti Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajshree Sadhvi
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2001
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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