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१३०. आचारांग वृत्ति, पृ. १४० १३१. आचारांग सूत्र ५/४/१ १३२. आचारांग वृत्ति, पृ. १४३ १३३. आचारांग वृत्ति, पृ. १४३ १३४. आचारांग सूत्र ५/५/१ १३५. आचारांग वृत्ति, पृ. १४७ १३६. आचारांग सूत्र ५/५, पृ. ४०८ १३७. आचारांग वृत्ति, पृ. १४९ १३८. आचारांग वृत्ति, पृ. १४९ १३९. आचारांग सूत्र ५/५, पृ. ४१९ १४०. आचार्य कुन्दकुन्द-प्रवचनसार, ज्ञानाधिकार गाथा १४१. आचारांग सूत्र ५/६/१ १४२. आचारांग वृत्ति, पृ. १५१ १४३. वही, पृ. १५२ १४४. आचारांग सूत्र, पृ. ४२५ १४५. आचारांग सूत्र, पृ. १४६. __ आचारांग वृत्ति, पृ. १५५ १४७. वही, पृ. १५५ १४८. (क) उत्तराध्ययन सूत्र ३३/२, ३
(ख) तत्त्वार्थ सूत्र अ. ६ . १४९. आचारांग सूत्र ६/१/१ १५०. आचारांग वृत्ति, पृ. १५६ १५१. आचारांग सूत्र ६/१, पृ. ४३९ १५२. आचारांग सूत्र १५७ १५३. आचारांग वृत्ति, पृ. १६०, १६१ १५४. वही, पृ. १६१ - १५५. आचारांग सूत्र, पृ. ४५९ १५६. आचारांग वृत्ति, पृ. १६२ १५७. आचारांग वृत्ति, पृ. १६३ १५८. आचारांग वृत्ति, पृ. १६४ १५१. आचारांग वृत्ति, पृ. १६५ १६०. आचारांग सूत्र ६/४, पृ. ४८३ “तं मेहावी जाणिज्जा धम्म" १६१. आचारांग वृत्ति, पृ. १६८
“शरीरं धर्मसंयुक्तं, रक्षणीयं प्रयन्नत: ।
शरीराज्जायते धम्मों, यथा बीजात्सदङ्कर ।।" १६२.. आचारांग सूत्र, ६/५/१ आचाराङ्ग-शीलावृत्ति : एक अध्ययन
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