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१७६-१८३
११. कृतिकर्म (वन्दना) के बत्तीस दोष १२. विनयकर्म-स्वरूप एवं उद्देश्य १३. विनयकर्म के भेद १४. कायिक, वाचिक, मानसिक और
औपचारिक विनय १५. विनयकर्म की विशेषतायें
१६. विनयकर्म के भेद-प्रभेदों का चार्ट ४. चतुर्थ-प्रतिक्रमण आवश्यक
१. स्वरूप २. प्रतिक्रमण के पर्यायवाची नाम ३. प्रतिक्रमण के अंग ४. प्रतिक्रमण के भेद ५. निक्षेप दृष्टि से छह भेद ६. कालिक आधार पर प्रतिक्रमण के सात भेद ७. जिज्ञासा का समाधान ८. प्रतिक्रमण का उद्देश्य ९. प्रतिक्रमण की विधि
१०. विभिन्न तीर्थंकरों में प्रतिक्रमण की परम्परा .. ११. दस प्रकार के मुण्ड ५. पंचम-प्रत्याख्यान आवश्यक
१. स्वरूप ... २. उद्देश्य
३. प्रत्याख्यान के तीन अंग ४. प्रत्याख्यान के भेद ५. निक्षेप दृष्टि से भेद ६. मूलगुण प्रत्याख्यान और उत्तरगुण प्रत्याख्यान ७. सर्व-उत्तरगुण प्रत्याख्यान के दस भेद ८. अर्धमागधी-आवश्यक नियुक्ति में वर्णित
प्रत्याख्यान के भेद-प्रभेद (चार्ट सहित) ९. प्रत्याख्यान की विधि ६. षष्ठ-कायोत्सर्ग आवश्यक
१. स्वरूप २. उद्देश्य
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१८९-२०१
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