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________________ (९) १५८-१६० १२७-१२८ १६१-१६२ १२९-१३० १६३-१६४ १३०-१३१ १६५ १३२ १६६ १६७-१६९ १३२ १३३-१३६ १७० १३६ १७१ १३७ १७२-१७६ १३८-१४० १३२. शेष स्थानों में कायोत्सर्ग का उच्छ्वास प्रमाण १३३. कायोत्सर्ग करने का प्रयोजन १३४. कायोत्सर्ग में चिन्तन के विषय १३५. कायोत्सर्ग के प्रत्यक्ष फल १३६. द्रव्य आदि चतुष्टय से कायो त्सर्ग करने का विधान १३७. कायोत्सर्ग के बत्तीस दोष १३८. दुःखों के क्षय हेतु कायो त्सर्ग का विधान १३९. कायोत्सर्ग में मायाचार का निषेध - १४०. कायोत्सर्ग के उत्थितोत्थित आदि चार भेद एवं इनका स्वरूप १४१. कायोत्सर्ग में शुभ-मन:संकल्प का विधान १४२. कायोत्सर्ग में अप्रशस्त मन:परिणाम १४३. कायोत्सर्ग नियुक्ति का उपसंहार १४४. षडावश्यक चूलिका के पालन के फल का कथन १४५. आवासकों का स्वरूप १४६. आवश्यक करने की विधि • १४७. आसिका और निषिद्यका के लक्षण १४८. आसिका का स्वरूप १४९. चूलिका का उपसंहार १५०. नियुक्तिकार द्वारा चूलिका सहित आवश्यक नियुक्ति का उपसंहार १७७-१७९ १४०-१४२ १८०-१८१ १४२-१४४ १८२ १४४ १८३ १४५ १८४ १४६ १४७ १८५ १४७ १८६ १८७ १८८ . १४८ १४९ १८९ १४९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004237
Book TitleAavashyak Niryukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Jain, Anekant Jain
PublisherJin Foundation
Publication Year2009
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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