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जैनदर्शन के आचारपक्ष की स्थापना का कारण जीव की अपनी सता और शक्तियों का प्रकट करना ही है । जीव के वर्गीकरण की सूक्ष्मता को पहचान करके हम अपने आपको उन जीवों की हिंसा से विरत करें एवं अपने निज स्वरूप अनन्त ज्ञान, दर्शन, चारित्र को उपलब्ध करें।
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