________________
५४८ - ५६१
१५. , उत्तराध्ययनसूत्र का आर्थिक दर्शन
१५.१ जैन साहित्य में अर्थ का स्थान १५.२ उत्तराध्ययनसूत्र का आर्थिक दृष्टिकोण १५.३ वित्त से दुःख विमुक्ति सम्भव नहीं १५.४ अर्थ की उपयोगिता कहां तक? १५.५ अर्थ साधन है : साध्य नहीं ( १५.६ उत्तराध्ययनसूत्र का आर्थिक दर्शन इच्छानिवृत्ति का है।
१६. उत्तराध्ययनसूत्र में प्रतिपादित अन्य दर्शन एवं दार्शनिक परम्पराये ५६३ - ५७३
१७. उत्तराध्ययनसूत्र की शिक्षाओं की प्रासंगिकता और उनका महत्त्व
५७५ - ६०४
★
सहायक ग्रन्थ सूची
६०६ - ६१५
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org