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योग-शास्त्र
यदि कभी धूल पर या कीचड़ में पूरा पैर जमाने पर भी वह अधूरा पड़ा हुआ दिखाई दे, तो उसकी सात महीने के अन्त में मृत्यु होती है ।
तारां श्यामां यदा पश्येच्छुष्येदधरतालु च । स्वांगुलित्रयं मायाद्राजदन्तद्वयान्तरे || १४३||
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गृध्रः काकः कपोतो वा क्रव्यादोऽन्योऽपि वा खगः । निलीयेत यदा मूनि षण्मास्यन्ते मृतिस्तदा ॥ १४४ ॥ यदि किसी व्यक्ति को अपनी आँख की पुतली एकदम काली दिखाई दे, बिना किसी बीमारी के प्रोष्ठ और तालु सूखने लगें, मुँह चौड़ा करने पर ऊपर और नीचे के मध्यवर्ती दांतों के बीच में अपनी तीन अंगुलियाँ समाविष्ट न हों तथा गिद्ध, काक, कबूतर या कोई भी मांसभक्षी पक्षी मस्तक पर बैठ जाए, तो उसकी छह माह के अन्त में मृत्यु होती है ।
प्रत्यहं पश्यतान हन्यापूर्य जलैर्मुखम् । विहिते फत्कृते शकधन्वा तु तत्र दृश्यते ॥ १४५ ।। यदा न दृश्यते तत्तु मासैः षड्भिर्मृतिस्तदा । पर-नेत्रे स्वदेहं चेन्न पश्येन्मरणं तदा ।। १४६ ।।
यदि दिन के समय मुख में पानी भरकर बादलों से रहित आकाश में फूत्कार के साथ ऊपर उछालने पर और कुछ दिन तक ऐसा करने पर उस पानी में इन्द्रधनुष-सा वर्ण दिखाई देता है । किन्तु, जब वह इन्द्रधनुष दिखाई न दे तो उस व्यक्ति की छह मास में मृत्यु होती है । इसके अतिरिक्त यदि दूसरे की आँखों की पुतली में अपना शरीर दिखाई न दे, तब भी छह महीने में मृत्यु होती है, ऐसा समझ लेना चाहिए ।
कूर्परौ न्यस्य जान्वो येकीकृत्य करौ सदा । रम्भाकोशनिभां छायां लक्षयेदन्त रोद्भवाम् ॥ १४७ ॥ विकासि च दलं तत्र यदैकं परिलक्ष्यते ।
तस्यामेव तिथौ मृत्युः षण्मास्यन्ते भवेत्तदा ।। १४८ ॥
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