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________________ द्वितीय प्रकाश मगध देश के सुघोष गाँव में कुचिकर्ण नामक एक पटेल रहता था। गायों पर उसकी असीम ममता थी, इसी वजह से उसने एक लाख गायें खरीद ली। किन्तु, फिर भी वह सदा असंतोष का ही अनुभव करता रहता था। अन्त में वह उन्हीं गायों के दूध, दही, घी आदि को विशेष परिमाण में खाने के कारण अजीर्ण-वात का शिकार हो गया और मरते समय आर्तध्यान के कारण तिर्यंच-योनि में उत्पन्न हा। ममत्व का परिणाम कितना भयानक होता है ! तिलक सेठ अचलपुर का एक रईस वणिक था। उसकी इच्छा सदा अनाज संग्रह करने और उसके द्वारा मुनाफा कमाने की रहती थी। वह घर की वस्तुएँ बेचकर अनाज खरीदता और उसके पश्चात् राह देखता रहता कि कब अकाल पड़े और वह अपने धन को दुगुना-चौगुना करे । भाग्यवशात् एक बार अकाल पड़ गया। यह मालूम पड़ते ही सेठजी ने इतना सारा अनाज खरीद लिया कि उसे घर बेचना पड़ा और यहाँ तक कि ब्याज पर भी और. रुपया लेने की जरूरत पड़ी। किन्तु, दैवयोग से पृथ्वी पर किसी भाग्यवान प्राणी का जन्म हुआ और उसके प्रताप से अकाल दूर हो गया। परिणाम यह हुआ कि सेठ को बहुत ही ज्यादा नुकसान हुआ और वह आर्तध्यान में छाती-सिर पीट-पीट कर रोता हुया मर गया और मर कर नरक में उत्पन्न हुआ। पाटलीपुत्र नगर में नन्द राजा राज्य करता था। वह बहुत ही लोभी था। लोभवश उसने प्रजा पर बड़े-बड़े कर लगाए और असत्य आरोप लगाकर धनवानों से धन वसूल किया । नन्द ने सोने के सिक्कों को हटाकर चमड़े के सिक्के चालू कर दिए । प्रजा को निर्धन बनाकर उसने अपने लिये सोने के पहाड़ खड़े कर लिए। लेकिन अन्त समय में वह अनेक व्याधियों से पीड़ित होकर घुल-घुल कर मृत्यु को प्राप्त हुआ . और नरक में गया। इस प्रकार लोभ के दुर्गुणों को समझ कर प्रत्येक ___ व्यक्ति को अपनी अमर्यादित इच्छाओं को नियंत्रित करना चाहिए। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004234
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSamdarshimuni, Mahasati Umrav Kunvar, Shobhachad Bharilla
PublisherRushabhchandra Johari
Publication Year1963
Total Pages386
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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