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योग शास्त्र होती । सदैव इन असत्यवादियों का प्राबल्य नहीं होता । सत्यवादी इस संसार में सदैव रहते हैं जिन के प्रताप से यह पृथ्वी स्थिर रहती है । अन्यथा इस पृथ्वी पर कितने भकंप आते मानव जाति को तबाह कर सके, ऐसे-ऐसे भूकंप, समद्री, तफान, वातूल आदि आये, परन्तु मानव जाति समाप्त नहीं हुई । ये परमाणु बम, जो कि समस्त संसार की समाप्ति को मात्र १२ मिण्ट की दूरी पर रखे हुए हैं-क्यों अपने-अपने स्थान पर पड़े हैं ? सत्यवादी धार्मिक व्यक्तियों के कारण इन का कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
सत्य के कारण ही सूर्य पृथ्वी पर प्रकाश फैलाता है। सत्य की प्राप्ति से मानव ग्रह नक्षत्र तथा तारों को, देवों को झका सकता है।
सत्य के बल से भूमि तथा आकाश हिलते हैं।
सत्य है कि सत्य से भगवान भी मिलते हैं । सत्य से ही संतुलित वाय चलती है। समय पर मानसून, षड,ऋतु आती हैं। वर्तमान से ज्यं-ज्यं सत्य की महत्ता कम होती जा रही है । त्यों-त्यों पृथ्वी सूर्य तथा पवन भी परिवर्तित होने लगे हैं।
सत्य मानव जीवन का मूलमंत्र है। सत्य से मानव का व्यापार तथा व्यवहार चलता है । सत्य के आधार पर ही व्यापार में लाखों रुपयों का विनिमय होता है। सत्य से ही मानव का विश्वास टिका है । यदि सत्य धरती से लप्त हो जाए तो मानव को मानव पर ही सन्देह हो जाए। परिवार के सदस्य भी सन्देह की नज़र से एक दूसरे को देखने लग जाएं।
वर्तमान में सत्य की प्रतिष्ठा कम हो रही है । सत्य को पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है। राष्ट्र में सत्य के स्थान पर असत्य का बोलबाला है । कोई किसी का वफादार नहीं है।
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