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________________ योग शास्त्र [१९१ को युद्ध के कटाह में डाल कर तमाशा न देखेगा। वह प्रत्येक हिंसा कर्म से बचेगा। जहां अहिंसा होतो है, वहां भय नहीं होता । सन्देह नहीं होता। वहां विश्वास होता है, अभय होता है। ____ अहिंसा को समस्त धर्मों का समर्थन प्राप्त है । तुलसी दास जी ने कहा था दया धर्म का मूल है, पाप-मूल अभिमान । तुलसी दया न छोड़िए, जब लग घट में प्राण ॥ जहां जीवों की दया-करुणा नहीं होती, वहां धर्म का वास कैसे हो सकता है ? एक मांसाहार करने वाले तथा अन्य जीवों की हत्या करने वाले लोगों में सैद्धांतिक रूप से कोई अन्तर नहीं हैं क्योंकि दोनों कार्यों में हिंसा होती है। एक कवि ने बहत मार्मिक शब्दों में मांसाहारियों को ललकारते हुए कहा है जो पत खाए बकरी, उस की उतरे खाल । जो उस बकरी को खाए, उस का क्या हाल । तण-पत्र आदि खाने वाली बकरी की खाल उतार ली जाती है। वह बेचारी कोई पाप नहीं करती फिर भी ऐसा-ऐसा कर्म फल भोगती है। यदि कोई व्यक्ति उस बकरी को मार कर उस का मांस खाए तो उसे क्या कर्म फल प्राप्त होगा? परन्तु हत्या करने वाले तथा मांस का भक्षण करने वाले अपने भविष्य की ... चिंता कब करते हैं ? भारत वर्ष की स्वतन्त्रता के पश्चात् जिस पंचशील सिद्धांत को राष्ट का प्राण माना जाता है उस में अहिंसा सर्वप्रथम है। भारत के प्राचीन महर्षि कहते हैं कि हिंसा करने वाले को हिंसा से उत्तरं मत दो। क्योंकि वैर से वैर कभी शांत नहीं होता। एक गल्ती का जबाव दूसरी गल्ती नहीं होता । गल्ती का जवाब Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004233
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashobhadravijay
PublisherVijayvallabh Mission
Publication Year
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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