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________________ १८८] अहिंसा पैदा होता है जो अहिंसा के सिद्धांत पर चलने की प्रेरणा देता है तथा अहिंसा का पालन करना जानता है। आज हमें अहिंसा के लिए दृढ़ संकल्प करना है। प्रतिज्ञा कर लेनी हैं । अहिसा को जोवन में स्थान देना है । हिंसा को दूर से ही छोड़ देना है अपने आप को शुद्ध बनाना है, अहिंसावादी बनाना है । ___ जीवन में आहार शुद्धि तथा विचार शुद्धि भी होनी चाहिए। हमारे भारतवर्ष में कैसे माँसाहार का प्रचार हो रहा है । लोग कहते हैं कि माँस खाने में हर्ज क्या है ? उन के तर्क बहुत विचित्र हैं-यथा "यदि आप एक दिन में हजारों लाखो गेहूं के दाने खाते हैं, तो उन सब दानों की हत्या करते हैं । इस से तो अच्छा है कि एक हाथी को या किसी बड़े प्राणी को मार के उस का मांस महीना भर खाओ कि जिस से एक ही हत्या का पाप लगे । ऐसे-ऐसे अहिंसा के दुश्मन हमारे देश में पैदा हो गये हैं। क्या है उन की दलील ? अरे, मैं कहना चाहूंगा कि यदि ऐसे-ऐसे विचार आप के मन में प्रविष्ट हो गए तो दिवाला निकल जाएगा, जीवन का, जीवन बरबाद हो जाएगा। हाथी पंचेन्द्रिय प्राणी है, और गेहं एकेद्रिय प्राणी है। हाथी की हत्या गेहूं की हत्या से विशेष समझी जाएगी। हत्या हिंसा आत्म-विकास से सम्बन्धित है। जिस का जैसा आत्म विकास और उस की जैसी हिंसा वैसा ही आप को पाप लगता है । हमारे लोक-व्यवहार में कोई कीड़ी को मारता है तो कीड़ी को मारने के पश्चात् न्यायाधीश उसे सज़ा नहीं करता । कोई उसे पूछता भी नहीं कि तूने कीड़ी को क्यों मारा । जब कोई हाथी या घोड़े की हिंसा करता हैं तो उसे फांसी की सजा नहीं होती, उसे छोटी-सी सजा मिलती है । जब लोक-व्यवहार में यह स्थिति है तो आत्मविकास के साथ हिंसा का सम्बन्ध क्यों न माना जाए। यदि आप छोटे प्राणी को मारोगे तो छोटी हिंसा का पाप लगेगा तथा बड़े प्राणी को Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004233
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashobhadravijay
PublisherVijayvallabh Mission
Publication Year
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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