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योग शास्त्र
[१४३ हो गई । तब मोदिनी ने देखा कि एक तरफ आचार्य सुधर्मा स्वामी पाट पर विराजमान हैं और एक तरफ द्रमुक मुनि तथा बीच में स्वर्ण मोती तथा हीरों के तीन ढेर लगे हुए हैं। ____ अभय कुमार ने घोषणा की, कि जो व्यक्ति जीवन भर प्रासक (गर्म) जल पीएगा वह, स्वर्ण के ढेर को ले सकता है। और सभा में से एक भी व्यक्ति नहीं उठा। सभी एक दूसरे की ओर देख रहे थे कि आज अभय कुमार को यह सब क्या सूझी है। ___ अभय कुमार फिर उठे तथा बोले, “जो व्यक्ति आजीवन अग्नि का स्पर्श नहीं करेगा, वह इस मोतियों के दूसरे ढेर को ले जा सकता है।" परन्तु सभा में से एक भी व्यक्ति ने यह शक्ति : न दिखाई।
अभय कुमार ने घोषण की, "कि जो व्यक्ति आजीवन भूमि शयन करेगा, वह तीसरा रत्नों का ढेर उठा सकता है" परन्तु इस बार भी परिषद् में से कोई न उठा।
अभय कुमार ने घोषणा की, 'जो व्यक्ति जीवन भर स्त्री का स्पेश नहीं करेगा। वह तीनों ढेरों को ले जा सकता है। परन्तु प्रजा जन तो मानो भूमि के साथ चिपक गये थे। सभी के मुखों पर निराशा थी।
तभी अभय कुमार बोल ये उठे, "मैं विनती करता हूं इन द्रमुक मुनि को जिन्होंने तीनों नियम स्वीकार किए हैं तथा स्त्री का संसर्ग भी छोड़ा है, अतः ये मुनि इन तीनों ढेरों को ले लें।
परन्तु मुनि ने तुरन्त उत्तर दिया कि “मुझे क्या करने हैं ये ढेर ! मैंने त्याग धारण किया है अपनी आत्मा के लिए। मझे इन रत्नों से कोई प्रयोजन नहीं।"
अभय कुमार यही तो प्रजा को दिखाना चाहते थे। वे बोले-सभ्यो ! आप ने देख लिया, कि आप में से एक भी व्यक्ति
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