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ज्ञान : श्रेयस् का योग . अविरति, प्रमाद, कषाय तथा योग ।।
संवर-आते हुए कर्मों को रोकना।
बंध-गृहीत कर्मों को प्रकृति, स्थिति, रस, तथा प्रदेशादि के रूप में बांधना।
निर्जरा-विपाक के द्वारा या जप तप आदि के द्वारा कर्मों को आत्मा से पृथक करना।
मोक्ष-'सर्व कर्म क्षयो मोक्षः--समस्त कर्मों के क्षय का नाम मोक्ष है । विशेष विस्तार के लिए जिज्ञासुओं को जीवाजीवाभिगम सूत्र, प्रकरण, भाष्य, कर्मग्रन्ध, पन्नवणा आदि ग्रन्थ देखने चाहिएं।
सम्यग्ज्ञान के निरूपण के पश्चात् सम्यग्दर्शन का वर्णन इस से अगले पृष्ठ पर देखिए।
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