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यावत् अनन्त परमाणुओं का एकीभाव स्कन्ध है। विभिन्न परमाणुओं का एक होना जैसे स्कन्ध है वैसे ही विभिन्न स्कन्धों का एक होना भी एक स्वतन्त्र स्कन्ध है। .... कभी-कभी अनन्त परमाणुओं के स्वाभाविक मिलन से एक लोकव्यापी महास्कन्ध भी बन जाता है
(2) स्कन्ध देश-स्कन्ध एक इकाई है, उस इकाई के बुद्धि-कल्पित एक भाग को स्कन्ध देश कहा जाता है।
(3) स्कन्ध प्रदेश-जैनदर्शन के अनुसार प्रत्येक स्कन्ध का मूलाधार परमाणु है। यह परमाणु जब तक स्कन्धगत है तब तक वह स्कन्ध प्रदेश कहलाता है। वह . अविभागी अंश जो सूक्ष्मतम है और जिसका फिर अंश नहीं बन पाता वह स्कन्ध प्रदेश है।
इस प्रकार स्कन्ध के ये तीन भेद और एक परमाण, जिसका विवेचन किया जा चुका है, ये सब मिलाकर पुद्गल के चार भेद हैं। ___ अपने परिणमन की अपेक्षा पुद्गल स्कन्धों के छः भेद हैं62__ (1) बादर-बादर (स्थूल-स्थूल)-जिस पुद्गल स्कन्ध का छेदन-भेदन तथा अन्यत्र वहन या प्रापण हो सके उस स्कन्ध को बादर-बादर कहते हैं। जैसेलकड़ी, पृथ्वी, पत्थर आदि।
(2) बादर (स्थूल)-जिसका छेदन-भेदन न हो सके; किन्तु अन्यत्र प्रापण या वहन हो सके, छिन्न-भिन्न होने पर आपस में मिल जावें उन स्कन्ध को बादर कहते हैं। जैसे दूध, घृत, जल, तैलादि द्रव पदार्थ।
(3) बादर-सूक्ष्म (स्थूल-सूक्ष्म)-जिसका छेदन-भेदन अन्यत्र वहन-प्रापण कुछ भी न हो सके ऐसे नेत्र से देखने योग्य पुद्गल स्कन्ध, जिनका आकार भी बने किन्तु पकड़ में न आवें वे बादर-सूक्ष्म कहलाते हैं। जैसे-छाया, प्रकाश, अन्धकार आतप, चाँदनी आदि।
__ (4) सूक्ष्म-बादर (सूक्ष्म-स्थूल)-नेत्र को छोड़कर शेष इन्द्रियों के विषयभूत पुद्गल स्कन्ध सूक्ष्म-बादर हैं। जैसे-ताप, ध्वनि आदि ऊर्जाएँ, वायु व अन्य प्रकार की गैसें।
(5) सूक्ष्म-जो सूक्ष्म होने के कारण इन्द्रियों से ग्रहण न किये जा सकें वे पुद्गल-स्कन्ध सूक्ष्म हैं। जैसे-कार्माण वर्गणाएँ (कर्म) आदि।
(6) सूक्ष्मसूक्ष्म-पुद्गल होकर भी जो स्कन्ध अवस्था से रहित हों वे सूक्ष्म-सूक्ष्म स्कन्ध हैं। जैसे-व्यणुक आदि।
इनके अतिरिक्त पुद्गलों के अन्य भेद भी आगमों में बताये गये हैं। 36 :: जैनदर्शन में नयवाद
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