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ए मंत्र बोली स्नात्र करी, तिलक आदिकथी पूजन करी, पुष्पांजली लइ नीचेनो श्लोक बोलवो - नानासुगन्धि-पुष्पौघ-रजिता चञ्जरीक कृतनादा | धूपामोद विमिश्रा, पततात्पुष्पाञ्जलि बिम्बे ॥१॥ पछी “ॐ हाँ ह्रीं हूँ पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामीति स्वाहा”
ए मंत्र बोली पुष्पांजलिथी पूजन करवू । नीचे नो श्लोक पांच वार बोली शुध्द जल थी पांच अभिषेक करवां । चक्रे देवेन्द्रराजैः सुरगिरिशिखरे, योऽभिषेकः पयोभि नृत्यन्तीभिः सुरीभि ललितपदनमं, तूर्यनादैः सुदीप्तः । कर्तुं तस्यानुकारं शिवसुखजनकं, मुन्त्रपूतैः सुकुम्भ, बिम्बं जैनं प्रतिष्ठा, (सुपूजा) विधिवचनपर: स्नापयाम्यत्र काले
||१|| पछी अष्टप्रकारी पूजा करी, चैत्यवंदन, आरती, मंगलदीवो, शांतिकलश करवो, छेल्ले अविधि आशातना मिच्छामि दुक्कडं करवू ।
DUKOT
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