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________________ दादा गुरू का नाम: प. पू. वर्धमान तपोनिधि, युवा शिविरों के आद्य प्रवचनकार, न्याय शिरोमणि, सुविशाल गच्छाधिपति श्री आचार्यदेव श्रीमद् विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी म. सा. A दीक्षा दाता: प.पू. सिद्धान्त महोदधि, कर्म साहित्य निष्णात, परम नैष्ठिक ब्रह्मचर्यधारक, अनेक साधु-समाधि दाता, सर्वजनहितचिन्तक, सुविशाल गच्छाधिपतिश्री आचार्यदेव श्रीमद् विजय प्रेम सूरीश्वरजी म. सा. आज्ञा प.पू. सिद्धान्त दिवाकर, सुविशाल गच्छाधिपति श्रीमद विजय> जयघोषसूरीश्वरजी म. सा. गुरू का नाम: मेवाड देशोद्वारक, ४०० अठ्ठम के महा तपस्वी, राष्ट्रसंत, आचार्यदेव श्रीमद् विजय जितेन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. लाखकशी का परिचय नाम भाषा : प.पू. द्विशताधिक दीक्षा दानेश्वरी आचार्य देव श्री गुणरत्नसूरीश्वरजीम. सा. जन्म : सं.१९८९,पोष सुद ४,सन् १९३२, पादरली (राज.) दीक्षा : सं.२०१०, महा सुद ४, सन् १९५४, मुंबई गणि पदवी सं.२०४१,मागसर सुद ११,सन् १९८४, अहमदाबाद पंन्यास पदवी ___ : सं.२०४४, फागण सुद २, सन् १९८८, जालोर (राज.) आचार्य पदवी : सं.२०४४, जेठ सुद १०, सन् १९८८, पादरली (राज.) : गुजराती, हिन्दी, मराठी, राजस्थानी, संस्कृत, प्राकृत, अंग्रेजी माध्यम से व्यवहारिक शिक्षण साहित्य : खवगसेढी, उपशमनाकरण आदि ६० हजार श्लोक प्रमाण संस्कृत प्राकृत ग्रंथ तथा गुजराती हिन्दी और अंग्रेजी में सौ चालो सिद्धगिरिजईए, जैन रामायण आदि ज्ञानाभ्यास : न्याय, व्याकरण, काव्य,छंद, आगम आदि अनेक शास्त्र। विशेषताएँ :१) २१ वर्षकी युवावस्था में सगाईछोडकर दीक्षा ग्रहण की। जीरावला तीर्थ में ३२०० व्यक्तियों की सामूहिक चैत्री ओली का रेकोर्ड। २७०० यात्रिकों का मालगाँव (राज.) से पालिताणा तथा ४००० यात्रिकों का पालीताणा से गिरनारजी का ऐतिहासिक छरी पालक संघ २८ युवक-युवतियाँ सुरत में, ३८ युवक-युवतिओं की पालीताणा में सामूहिक दीक्षाएँ, कुल २१३ दीक्षा भेरुतारक तीर्थ के प्रेरणादाता जिसकी प्रतिष्ठा में ७०० साधु-साध्वी भगवंतो की उपस्थिति तथा चैत्री ओली में २७४ भाई-बहिनों नेजावज्जीव चोथे व्रत का स्वीकार किया। शंखेश्वर महातीर्थ में ऐतिहासिक ४७०० अठ्ठम। ७) सूरत दीक्षा में ५१,०००, पालीताणा में ५२,००० तथा अहमदाबाद में ५५०० युवानों की समूह सामायिक। खवगसेढी ग्रन्थ के सर्जनहार जिसके विषय में जर्मन प्रोफेसर क्लाउज ब्रून ने प्रशंसा की है। ९) ४२ आध्यात्मिक ज्ञान शिविर के सफल प्रवचनकार। १०) ६८ शिष्य-प्रशिष्य मुनिराजो के तारणहार। ११) नाकोडा ट्रस्ट द्वारा संचालित निःशुल्क विश्वप्रकाश पत्राचार पाठ्य क्रम द्वारा ९०,००० विद्यार्थियों के जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलाया। ८ खपत Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004226
Book TitleJain Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year2002
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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