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प्यारो-प्यारो रे, हो व्हाला मारा पास जिणंद मने प्यारो, तारो तारो रे, हो व्हाला मारा भवनां दुःखडा वारो ।।
काशीदेश वाराणसी नगरी, अश्वसेन कुल सोहियेरे, पार्थ जिणंदा वामानंदा मारा व्हाला देखत जनमन मोहिये ।
प्यारो-प्यारो ||१||
छप्पनदिक्कुमरी मली आवे, प्रभुजी ने हुलरावे रे, थेई-थेई नाच करे मारा व्हाला, हरखे जिन गुण गावे ।
प्यारो-प्यारो ।।२।।
कमठ हठ गाल्यो प्रभु पार्श्वे बलतो उगार्यो फणी नागरे, दियो सार नवकार नागकुं, धरणेन्द्र पद पायो ।
प्यारो-प्यारो ॥३॥
दीक्षा लई प्रभु केवल पायो, समवसरण में सुहायो रे, दिये मधुरी देशना प्रभुजी चौमुख धर्म सुणायो ।
प्यारो-प्यारो ॥४॥
कर्म खपावी शिवपुर जावे, अजरामर पद पावे रे, ज्ञान अमृतरस फरसे मारा व्हाला, ज्योति से ज्योति मिलावे ।
प्यारो-प्यारो ॥५॥
सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः 921 Jain Education International
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