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________________ श्री आदिनाथ भगवान के स्तवन सिद्धाचलना वासी, विमलाचल ना वासी, जिनजी प्यारा आदिनाथ ने वंदन हमारा ॥टेक॥ प्रभुजी नुं मुखुडं मलके, नयनो मांथी वरसे अमीरसधारा ॥ जिनजी प्यारा ॥१॥ प्रभुजी - मुखडुं छे मन को मिलाकर, दिल में भक्ति की ज्योत जगाकर भज ले प्रभु ने भावे, दुर्गति कदी न आवे ।। जिनजी प्यारा ॥२॥ भमीने लाख चौरासी हूं आव्यो, पुण्ये दर्शन तमारा हूं पायो, धन्य दिवस मारो भवना फेरा टालो । जिनजी प्यारा ॥३॥ अमे तो मोह माया ना विलासी, तुमे तो मुक्तिपुरी ना वासी, कर्म बंधन कापो मोक्ष सुख आपो । जिनजी प्यारा ॥४॥ अरजी उरमां धरजो हमारी, अमने आशा छ प्रभुजी तुम्हारी, कहे हर्ष हवे साचा स्वामी तुमे, पूजन करीए अमे ॥ जिनजी प्यारा ॥५॥ Ja Education FOpersonal&PainteUse Only" * विमलाचल ागार नमो नमः www.jainelibrary.org 79
SR No.004225
Book TitleChari Palak Padyatra Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajhans Group of Industries
PublisherRajhans Group of Industries
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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