SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री शांतिनाथ भगवान का द्वितीय चैत्यवंदन शांति जिनेश्वर सोलमा, अचिरासुत वंदो, विश्वसेन कुल नभोमणि, भविजन सुख कंदो मृगलंछन जिन आउखुं, लाख वरस प्रमाण, ___हत्थिणाउर नयरी घणी, प्रभुजी गुण मणि खाण चालीश धनुषनी देहडीओ, समचउरस संठाण, वदन पद्म ज्युं चंदलो, दीठे परम कल्याण (श्री शांतिनाथ प्रभु का स्तवन शांति जिनेसर साचो साहिब, शांतिकरण इण कलिमें हो जिनजी, तुं मेरा मन में, तुं मेरा दिल में, ध्यान धरूं पल पल में साहेबजी, - भवमां भमतां में दरिशन पायो, आशा पूरो ओक पल में हो जिनजी निरमल ज्योत वदन पर सोहे, निकस्यो ज्युं चंद बादल में हो जिनजी. मेरो मन तुम साथे लीनो, ___ मीन वसे ज्युं जल में हो जिनजी. जिनरंग कहे प्रभु शांति जिनेश्वर, दीठोजी देव सकल में हो जिनजी. तुं.१ तु.२ तु.३ तु.४ श्री शांतिनाथजी की स्तति शांति जिनेश्वर समरीओ, जेनी अचिरा माय, विश्वसेन कुळ उपन्या, मृग लंछन पाय; गजपुरी नयरीनो धणी, कंचन वरणी छे काय, धनुष चालीसनो देहडी, लाख वरसनुं आय. "सिद्धाचल गिरि नमो नमः विमूलाचल गिरि तमो नमः 58www.jainelibrary.store Jain Education International
SR No.004225
Book TitleChari Palak Padyatra Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajhans Group of Industries
PublisherRajhans Group of Industries
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy