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________________ में जाकर बैठ गई। रसोई बंद ! मंत्री आये, पूछा, जवाब मिला पहले पालिताणा का संघ जाहिर करो । जाहिर किया । पत्नी खुश हुई। गांव गांव समाचार पहुंचे। उज्जैन के माँ बेटे ने देखा- अच्छा मौका है। गांव गांव सात क्षेत्रमें धन लूटायेंगे। ___ संघ पालिताणा पहुंचा । दादा आदिनाथ की प्रथम पूजा नौरत्नों से बालाशाह ने की। दूसरे दिन १८, तीसरे दिन ३६, समराशा चकित था। मेरे संघ में ऐसा कौन सा भाग्यशाली है ? मुजे मिलना है। बालाशाह को देख कर ठगे से रह गये । एक छोटा बालक, और ऐसी अप्रतिम उदारता ! बालाशा ने विनंती की कि “बचा हुआ पूरा धन यही लगाना है । एक दूंक बनाने का आदेश दिलाईए ।” बालाशाहने ढूंक बनाई तो समराशा ओशवालने इस प्रसंग से प्रेरणा लेकर पूरे तीर्थ का उद्धार करवा दिया । वाह रे बालाशा ! वाह रे समराशा ! सोलहवाँ उद्धार : संवत १५८७ में चित्तौड के करमाशा ने उद्धार करवाया । करमाशा के पिता तोलाशा बडे ही व्यथित थे। मोगलों के आक्रमण से शजय तीर्थ के मंदिर जर्जरित हो चुके थे। श्री धर्मरत्नसूरिजी ने कहा "मेरा शिष्य और आपका पत्र उद्धार में निमित्त बनेगा।" करमाशा ने नियम लिया । जब तक श्री शत्रुजय का उद्धार नहीं करवाउं तबतक भूमिशयन, एकासणा, ब्रह्मचर्य का पालन करूंगा। दिल्ली के बादशाह की नाराजगी से शाहजादा बहादुरखान घर से भागा । चितौड कपडा खरीदने करमाशाह के दुकान पर चढा । करमाशा ने पहिचान लिया । और कहा “ पैसे की चिंता छोडीये, जितना चाहिए उतना ले ।” १ लाख रुपये उधार दिये । शाहजादा गदगद् हो गया । एहसान चुकाउंगा । दिल्ली की गादी पर शाहजादा बैठा । करमाशा ने तीर्थोद्धार की अनुमति ली । दो मुनियोंने मूर्तिनिर्माण हेतु छः महिने के उपवास किये । आचार्य Jain Education International "सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः" 54
SR No.004225
Book TitleChari Palak Padyatra Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajhans Group of Industries
PublisherRajhans Group of Industries
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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