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________________ "गुरुदेव ! मैं तैयार हूं मगर मुझे आप सभी का बल चाहिए क्यों कि मैं नया हूं, नंबर एक पूरा संघ काउसग्ग में रहे, नंबर दो रथ के पहिये के नीचे एक युगल सो जाय ।” संघपति जावडशाह और सुशीलादेवी रथ के नीचे सो गये । पूरा संघ कायोत्सर्ग में बैठ गया । सूरिमंत्र से अधिष्ठित कर नये कवड को भेजा । पूरी रात भयानक अट्टहासों के साथ युद्ध हुआ। पुराना कवड भाग खडा हुआ। मूर्ति ऊपर चढी और प्रतिष्ठा हुई। जावडशाह और सुशीला देवी ध्वजा चढाते हुए भाव विभोर होकर नाचने लगे । गुरुदेव ने कहा - “अरे सम्हालना, नीचे गिर जाओगे।” जावड शाह ने कहा- “गुरुदेव ! गिरुंगा तो नीचे तो नहीं जाऊंगा- ऊपर जाऊंगा।” हर्ष में हृदय बंध हुआ, दोनों के शरीर देवोंने क्षीर समुद्र को अर्पित कर दिये। चौदहवाँ उद्धारः विक्रम संवत १२१३ में श्री कुमारपालराजा के समय में श्रीमाली ज्ञाति के मंत्रीश्वर बाहड हुए । गुजरात के मंत्रीश्वर उदायन युद्धभूमि में अंतिम सांस ले रहे थे । पिता की अंतिम इच्छा थी युद्धभुमि में मुनि केदर्शन और शत्रुजय का उद्धार ! मंत्री बाहडने दोनों की स्वीकृति दी और मुनि को ढूंढने निकल पडे । मुनि नहीं मिले तो एक नट को पकडा, साधुवेष दिया, जैसे सिखाया वैसा पूरा अभिनय किया । उदायन मंत्री को समाधि मृत्यु मिली, वेश उतारने को कहा तो नट ने मना कर दिया। अब तो मैं सच्चा साधु ही बनूंगा । धन्य मुनिवेष ! मंत्रीश्वर बाहड ने शत्रुजय उद्धार करवाया।"मंदिर तैयार हो चूका है" समाचार देनेवाले को १६ सुवर्ण की जीभ दी । उतने में दूसरा घुडस्वार मारते दम आया।"मंत्रीश्वर ! मंदिर फट गया !" बाहड मंत्रीने उसे ३२ स्वर्णिम जीभ दी... "मैं जीवित हूं तो दूसरीबार धनव्यय कर उद्धार करवा दूंगा । बाद की क्या पता ?" शत्रुजय तीर्थ पहुंचे । सोमपुरा का मुंह उतरा हुआ था । असमंजस की स्थिति थी । बाहड मंत्रीने जानना “सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः” 52_ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainen
SR No.004225
Book TitleChari Palak Padyatra Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajhans Group of Industries
PublisherRajhans Group of Industries
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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