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________________ जाने के कारण वर-वधू ने आजीवन ब्रहाचर्य पालन करने का संकल्प कर लिया एवं यह भी निर्णय किया कि यदि इस संकल्प की बात माता-पिता को ज्ञात हो जाये, तो हम दीक्षा अंगीकार कर लेंगे । उन दोनों ने सुविशुद्ध ब्रहाचर्य व्रत का पालन किया। एक बार विमल केवली ने जिनदास श्रावक को कहा कि ८४००० साधुओं को आहार पानी का दान देकर किसी व्यक्ति को जितना लाभ होता है, उतना लाभ विजय सेठ-विजया सेठानी को भोजन कराने से प्राप्त होता है । वीस स्थानक की पूजा में कहा है कि- "नमो नमो बंभवय धारीणं।" ऐसे इस उत्तम दम्पति की साधर्मिक भक्ति का महत्त्व जानने के पश्चात् जिनदास श्रावक भृगुकच्छ में आये और उक्त बात का प्रचार होने पर उन दोनों ने दीक्षा ग्रहण की। विवाह से लगा कर अन्त तक ब्रहाचर्य-पालक सेठ-सेठानी की मूर्तियाँ यहाँ स्थापित की गई हैं। चेतन ! विजय सेठ-सेठानी को प्रणाम करके उनसे उत्तम ब्रह्मचर्य पालन करने का सामर्थ्य प्राप्त करना। ___ चेतन ! यहां से आगे जाने पर एक जिनालय में १४ प्रतिमाजी होने से उसे चौदह रत्नों का जिनालय कहा जाता है। अथवा दो भाईयों ने यहाँ चौदह रत्न रख्ने । अत: चौदह रत्न का मंदिर कहा जाता है । दर्शन कर"नमो जिणाणं"। इसका निर्माण संवत् १६८३ में हुआ था। कोई इसे नौ निधान का जिनालय भी कहते हैं। ___चेतन ! आगे इसके पास एक देहरी में श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की छोटी श्याम प्रतिमा है जो अत्यन्त चमत्कारी है। कई बार रात्रि में यहां बाजे बजते हैं ऐसा यहाँ के पहरेगीर सन्तरी कहते हैं। "नमो जिणाणं" कहकर आगे चलें। चेतन ! बायीं ओर अंदर यह नई ढूंक है । दादा के पीछे तथा अन्य स्थानों पर कुछ प्रतिमाजी थे। उन सबको उत्थापन करके नवीन ढूंक में प्रतिष्ठित की हैं ।"नमो जिणाणं YJain Education सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः 41 www.jainelibrarynes
SR No.004225
Book TitleChari Palak Padyatra Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajhans Group of Industries
PublisherRajhans Group of Industries
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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