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________________ नाम है तेरा तारणहारा... नाम०१ नाम है तेरा तारणहारा, कब तेरा दर्शन होगा, जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर, वो कितना सुंदर होगा... तुमने तारे लाखों प्राणी, ये संतों की वाणी है, - तेरी छबी पर मेरे भगवन, ये दुनिया दीवानी है, भाव से तेरी पूजा रचाऊंजीवन में मंगल होगा. सुरवर मुनिवर जिनके चरणे, निशदिन शीश झुकाते है, जो गाते है प्रभु की महिमा, वो सब कुछ पा जाते है, अपने कष्ट मिटाने को (२) तेरे चरणों में वंदन होगा. मन की मुरादे लेकर स्वामी, तेरी चरण में आये है, हम बालक शरणागत तेरे, तेरे ही गुण गाते है, भव से पार उतरने को (२) तेरे गीतों का सरगम होगा. नाम० नाम०३ पालीताणा का नाथ है.. पालीताणा का नाथ है हमारा तुम्हारा... तुम्हारा... हमारा आदिनाथ के दरिसन पाके जीवन है सुखकारा... कैसी सुंदर काया, भक्तों के मन भाये, कानों में कुंडल सोहे, मस्तके मुकुट सुहाये, मनकी इच्छा पूरी होवे, आये द्वार तिहारा... इस तीरथ के कंकड़, पत्थर हम बन जाये, इन पावों से चलकर, तीरथ तेरे आये, सच्चे मनसे ध्यान लगाये, होवे जगसे न्यारा... तीरथ के दरिसन को, भक्त हजारों आये, ___करके प्रभुका पूजन, अपने पाप खपाये, । युवक मंडल आज पुकारे, तारो तारणहारा... "सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः' 124 ReadRiteistory
SR No.004225
Book TitleChari Palak Padyatra Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajhans Group of Industries
PublisherRajhans Group of Industries
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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