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मंदिर पधारो स्वामी...
मंदिर पधारो स्वामी सलूणा,
तमारा विना नाथ क्यांये गमे ना...
अंतरनी आंखेथी आंसु बहे छे,
अंतरनी वातो आ आंसु कहे छे, प्रभु मुख जोवाने दृष्टि चाहे छे,
हवे नाथ झाझुं तलसावशो ना...
स्मरण जन्म जूना स्मृति मांहे आवे,
नयन शोधतां तमने... प्रभु आर्त भावे के मुख परथी दृष्टि हटावी हटे ना...
तमे जइ वस्या स्वामी... स्वरुप महेलमां रझलतो रह्यो घुं संसार वनमां हवे नाथ अंतरथी अलगा थशो ना...
प्रभु अमने तारो... उगारो बचावो
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मूकी मस्तके हाथ... पार उतारो कृपावंतने झाझुं कहेवुं घटेना...
अंतरनी ज्योति प्रगटावी जाओ
अमी आतमना छलकावी जाओ क्षमावंतने झाझुं कहेवुं घटे ना...
• हरखाती पलपल प्रभु तमने जोइ
हवे दिन विरहना वीते रोड रोड वियोगनुं दुःख आवुं हशे ना...
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सिद्धाचल गिरि नमो नमः विमलाचल गिरि नमो नमः
मंदिर...
मंदिर...
मंदिर...
मंदिर...
मंदिर...
मंदिर...
मंदिर...
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