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| देवी देवी के पांच अभिषेक ।
अक सजोडा दुध के कलशे हाथ में लेकर खडे रहे ।
नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधूभ्यः (१) क्षीराम्बुधेः सुराधीशै-रानीतं क्षीर-मुत्तमम् । अस्मिन् भगवती-स्नात्रे, दुरितानि निकृन्ततु ।। (प्रक्षाल) दुसरा सजोडा दहीं के कलशे हाथ में लेकर खडे रहे । नमोऽर्हत्... (२) घनंघनबलाधारं, स्नेह-पीवर-मुज्ज्वलम् । संदधातु दधिश्रेष्ठं देवीस्नात्रे सतां सुखम् ।। (प्रक्षाल) तिसरा सजोडा घी के कलशे हाथ में लेकर खडे रहे । नमोऽर्हत्... (३) स्नेहेषु मुख्य-मायुष्यं, पवित्रं पापतापहृत् । घृतं भगवती-स्नात्रे भूया-दमृत-मञ्जसा ।। (प्रक्षाल) चौथा सजोडाशर्कयुक्त अथवा पंचामृत के कलशे हाथ में लेकर खडे रहे । नमोऽर्हत्... (४) सर्वोषधिरसं सर्वरोगहृत् सर्वरञ्जनम् । क्षौद्रं क्षुद्रोपद्रवाणां, हन्तु देव्यभिषेचनात् ।। (प्रक्षाल) पांचवा सजोडा सर्व औषधि मिश्रित पंचामृत के कलशे हाथ में लेकर खडे रहे । नमोऽर्हत्... (५) सर्वोषधिमयं नीरं नीरं सदगुण-संयुतम् । भगवत्य-भिषेकेऽस्मि-न्नुपयुक्तंश्रियेऽस्तु नः ।। (प्रक्षाल)
| (अष्टप्रकारी पूजा के दुहे) । १. जलपूजा नमोऽर्हत् ... जल पूजा जुगते करो, मेल अनादि विनाश । जल पूजा फल मुज हजो, मांगो ओम प्रभु पास ।।१।। ॐ ह्रीँ श्री परमपुरुषाय, परमेश्वराय, जन्म-जरा-मृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय जलं यजामहे स्वाहा ।
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