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ॐ हाँ हाँ हूँ हूँ ह्रौँ हूँ: परमार्हते परमेश्वराय गन्धपुष्पादि
संमिश्र-कश्मीरज-शर्करासंयुतेन जलेन स्नपयामि स्वाहा । उपर दिया गया श्लोक बोलकर थाली बजाकर, गीत-वाजिंत्र के नादपूर्वक कलशो से बिंब के उपर अभिषेक कीजिये, अंग लूछणा कीजिये।
नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते पृथिवि पृथु पृथु गन्धं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पुष्पपूजा कीजिये ।
ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते मेदिनि ।
पुरु पुरु पुष्पवति पुष्पं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर ओक डंका बजाकर धूपपूजा कीजिये ।
ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते दह दह महाभूते ।
तेजोऽधिपते धूपं धूपं गृहाण गृहाण स्वाहा । बाद में नीचे दिया गया श्लोक बोलकर दीपपूजा, अक्षतपूजा, नैवेद्यपूजा और फलपूजा कीजिये ।
ॐ हीं श्रीं परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरामृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय दीपं-अक्षतं-नैवेद्यं-फलं यजामहे स्वाहा।
यहाँ पंदराहवा अभिषेक पूर्ण हुआ।
| चंद्रदर्शन तथा सूर्यदर्शन विधि :
... पंदराह अभिषेक (स्नात्र) होने के बाद चंद्र दर्शन तथा सूर्य दर्शन का विशेष विधान करना है । यह विधान खास करके अंजन शलाका के अवसरपर कीया जाता है । वैसे ही सामान्य अठराह अभिषेक के प्रसंगपर भी किया जाता है । उसमें सर्व बिंबोको चंद्र और सूर्य के स्वप्न का दर्शन मंत्र पाठ पूर्वक करवाना है । स्वप्न उपलब्ध न होने पर दर्पण दिखाईये ।
.. चंद्र और सूर्य का दर्शन करवाने से पूर्व हरेक अभिषेक करनेवालो को रंग मंडप के बाहर बुला
लिजिये । स्वप्नदर्शन सौभाग्यवंती बहेनो सजोडे अथवा घर के सभी सदस्यों के साथ करवाईये ।
चंद्रदर्शन का मंत्र नीचे दिया गया है । वह मंत्र बोलकर, थाली बजाकर,चंद्र दर्शन करवाईये ।
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