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________________ सफेद ये पांच रंग (वर्ण), मीठा (आम) कडुआ (करेला), खट्टा (इमली) चरपरा (मिर्ची) कषायला (हरडे) ये पांच रस, सुगंध (गुलाब), दुर्गन्ध (लहसून) ये दो गंध, गर्म (अग्नि), ठंडा (बर्फ), चिकना (घी), रुखा (राख), मृदु (रुई) कठोर (पत्थर) भारीपन (लोहा) हल्कापन (गुब्बारा) ये आठ स्पर्श होते हैं | उसे पुट्लास्तिकाय कहते हैं। (६) काल :- जो द्रव्य जीवादि द्रव्यों में नया पुराना आदि परिवर्तन करे अर्थात् जीवादि द्रव्यों के परिणमन में जो सहाय करे, उसे काल द्रव्य कहते हैं। जैसे अभी वस्तु उत्पन्न हुई है, वह नई कहलाती है । कुछ समय पहले उत्पन्न हुई है, वह पुरानी कहलाती है | नया पुराना आदि व्यवहार का कारण काल होता है | उसके भेद समय, सेकन्ड, मिनिट, घंटे वगैरह है। प्रश्न :- काल शब्द के साथ "अस्तिकाय" शब्द क्यों नहीं जोडा गया ? उत्तर :- अस्ति यानी छोटे से छोटा अविभाज्य अंश, जिसका केवलज्ञानी की दृष्टि से भी विभाजन न हो, उसे प्रदेश कहते हैं। कारा यानी समूह, अस्तिकाय = प्रदेशों का समूह । जीवास्तिकाय, धर्मास्तिकाय, व अधर्मास्तिकाय के असंख्यात प्रदेश होते हैं । आकाश के अनंत और पुद्गलास्तिकाय के संख्यात, असंख्यात व अनंत प्रदेश होते हैं । परंतु काल को तो जब भी हम सोचते हैं, तब वर्तमान काल एक समय रूप ही मिलता है । यह समय केवलज्ञानी की दृष्टि से काल का छोटे से छोटा अंश है | इसलिये प्रदेशों का समूह नहीं होने से अस्तिकाय शब्द काल के साथ नहीं जोडा जाता। समय को हम कल्पना से इकट्ठा करके मुहूर्त, सेकन्ड, मिनिट, घंटे, वगैरह का व्यवहार करते हैं। चित्रमय तत्वज्ञान ७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004222
Book TitleChitramay Tattvagyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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