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________________ प्रकाशक की कलम से.. मानव आवश्यकता होने पर वस्तु का प्रकटीकरण करने का प्रयत्न । इसलिये इस पुस्तक का विशेष महत्त्व है। करता है। "NECESSITY IS THE MOTHER OF INVENTION'' पाली के कहानियों को अच्छी तरह समझने के लिये चित्र ज्यादा उपयुक्त होते चातुर्मास में एक दिन भव आलोचना के विषय पर प.पू. आचार्यदेवश्री हैं। यानी १०० शब्दों से, अक चित्र कहानी को समझाने के लिये ज्यादा गुणरत्नसूरीश्वरजी म.सा. कर प्रवचन हआ। उसमें रुक्मिणी साध्वीजी समर्थ है। ONE PICTURE IS WORTH THAN THOUSAND WORDS. इसलिये 7 वगैरह के उदाहरण सुनकर कई युवक-युवतियों एवं बुजुर्गों की इस बार नया संस्करण सचित्र व संशोधित कर प्रकाशित कर रहे हैं। भावना हुई कि हम भव आलोचना लेकर अपना जीवन पवित्र इसलिये यह पुस्तक ज्यादा उपयोगी बनेगी। ऐसा हमें आत्म विश्वास है। बनायें, किन्तु हिन्दी में आज तक इस किस्म की कोई किताब छपी नहीं थी, जिसको पढ़कर स्वयं किये हुए यह पुस्तक पुरुष व महिला सभी के लिए उपयोगी है, इसलिए यह पापों का स्मरण कर सके। इसलिये वहाँ सर्वप्रथम यह पुस्तक जब महिलायें पढ़ें, तब अपनी रीति से अपने पापों का चिंतन कर पुस्तक छपवाई गई, उसके बाद हिन्दी संस्करण और ८ आलोचना लिखें। गुजराती संस्करण छपे हैं। आज यह ८वां हिन्दी संस्करण आपके हाथ इस पुस्तक को जैसे-जैसे पढ़ेंगे, वैसे-वैसे हृदय में पश्चाताप में आ रहा है। इससे आप इसकी उपयोगिता स्वयं समझ सकते हैं। होगा। उससे कर्म की बेहद निर्जरा होगी। यह पुस्तक पढ़ते-पढ़ते कितने आज चारों ओर पापों के विचार व प्रवृत्ति बेहद चल रही है। ऐसे ही सैंकड़ों युवक-युवतियों ने बड़े-बड़े आँसू बहा कर प्रायश्चित लिया है। समय में उसके ऊपर ब्रेक लगानी अति जरूरी है। इसलिये आप आप भी इस पुस्तक को एक बार पढ़कर रख न दें, परन्तु तीन-चार बार इस पुस्तक को पढ़ेंगे, तो आत्मा में अन्तःपरिवर्तन आयेगा। तो जरूर पढ़ें व दूसरों को पढ़ने की प्रेरणा दें। camo internet For Personal inee Use Only ली. जिनगुण आराधक ट्रस्ट, मुंबई-भिवंडी,
SR No.004221
Book TitlePaschattap
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C020
File Size18 MB
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