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________________ 5 5. श्री पार्श्वनाथ भगवान की 3.5" व 2.5" ऊँची प्रतिमा है। 7. श्री पार्श्वनाथ भगवान की 9" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर सं. 2040 का लेख है। 8. श्री जिनेश्वर भगवान की 1.5" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है । 9. श्री सिद्धचक्र यंत्र 5" का गोलाकार है । इस पर 2040 माघ कृष्ण प्रतिपदा का लेख है । 10. श्री अष्टमंगल यंत्र 5 " x 3" का है। इस पर वीर सं. 2511 का लेख है । 11. श्री अजितनाथ भगवान की 1.5" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं हैं। 12. श्री सिद्धचक्र यंत्र 5" गोलाकार है। इस पर कोई लेख नहीं है। बाहर सभा मण्डप में : श्री आदिनाथ भगवान की पादुका 8" x 8" श्वेत पाषाण के पट्ट पर स्थापित है। (दाएं) 1. मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 2. 3. 4. श्री गौमुख यक्ष की श्याम पाषाण की 17" ऊँची प्रतिमा है। इस पर वि. सं. 2055 का लेख है । (दाएं) श्री चक्रेश्वरी देवी की श्याम पाषाण की 11" ऊँची प्रतिमा है। इस पर वि. सं. 2055 का लेख है। (बाएं) श्री नाकोड़ा भैरव की पीत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है । इस पर वि. सं. 2055 का लेख है। (बाएं) तीन मंगलमूर्ति स्थापित है । वार्षिक ध्वजा पौष कृष्णा 3 को चढ़ाई जाती है । मंदिर के पास उपाश्रय के लिए भूमि उपलब्ध है, कृषि योग्य भूमि भी होना बताई है, ज्ञात नहीं है । ज्ञात करना चाहिये । सम्पर्क सूत्र - श्री मिट्ठालाल जी लोढ़ा, फोन : 01470-245455 Jain Education International For Per 80 ate Use Only .www.jainelibrary.org.
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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