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________________ 2. श्री जिनेश्वर भगवान की (मूलनायक के बाएँ) श्वेत पाषाण की 13" ऊँची है। इस पर कोई लेख नहीं है I श्री आदिनाथ भगवान का मंदिर, भादसोड़ा यह घूमटबंद मंदिर मंगलवाड़ चौराहा से 15 किलोमीटर व चित्तौड़गढ़ से 30 किलोमीटर दूर, ग्राम के बीच स्थित है। नजदीक का रेल्वे स्टेशन चित्तौड़गढ़ है। कथनानुसार यह मंदिर करीब 200 वर्ष प्राचीन होना बताया गया है, जो प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख के अनुसार सही प्रतीत होता है । इस मंदिर में निम्न प्रतिमाएं स्थापित हैं 1. श्री आदिनाथ भगवान की (मूलनायक ) श्याम पाषाण की 27" ऊँची प्रतिमा है। इस पर या सामन्य विक्रम संवत 1852 वैशाख शुक्ला या अतिसु 5 (राजा केसरीसिंह जी) का लेख तथा सु है। 3. श्री जिनेश्वर भगवान की श्याम पाषाण की 7" ऊँची प्रतिमा है। 4. श्री महावीर भगवान (मूलनायक के दाएँ) श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा है। इस पर सं. 1886 का लेख है । उत्थापित धातु की प्रतिमाएं एवं यंत्र : 1. 2. 3. की Ja Education International मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 pular rider . 5. श्री जिनेश्वर भगवान की (मूलनायक के बाएँ) श्याम पाषाण की 7" ऊँची प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है । For Pergorevate Use Only 77 य S Us समाधान 12035.0 EROEEDB श्री चतुर्विशति 12” ऊँची प्रतिमा है। इस पर दिनांक 15.02.09 का लेख है । श्री पार्श्वनाथ भगवान की 8" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है । इस पर सं. 1521 माघ सुदि 2 का लेख है । श्री पार्श्वनाथ भगवान की 4" ऊँची प्रतिमा है। (इस पर आरजण लिखा है) www.jainelibrary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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