________________
मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री केसरियानाथ भगवान का मंदिर, भैसरोड़गढ़ यह पाटबन्द मंदिर चित्तौड़ से 75 किलोमीटर दूर है। कहा जाता है कि यह मंदिर 350 वर्ष प्राचीन है और यतिजी श्री कृष्णकान्त सौभाग्य का मंदिर कहलाता है। वर्तमान में भी मंदिर में यति परिवार ही रहता है और इसी परिवार द्वारा देखरेख की जाती है। यह नगर प्रथम श्रेणी का ठिकाना रहा है। मेवाड़ शासक ने कृष्णावत वंश को जागीरी सुपुर्द की व पाग के बंद मानशाही रही है। यह एक निजी व घर मंदिर है। मंदिर में निम्न प्रतिमाएँ स्थापित हैं: 1. श्री केसरियानाथ भगवान की (मूलनायक) मटिया (स्थानीय) पाषाण की
19' ऊँची प्राचीन प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है।
श्री आदिनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्याम पाषाण की 13" ऊँची • प्रतिमा है। इस पर संवत् 1768 फाल्गुण सुदि 2 का लेख है। 3. श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 17" ऊँची
प्रतिमा है। इस पर भुवनभानु सूरीश्वर का लेख है। उत्थापित चल प्रतिमाएँ व यंत्र धातु की: 1. श्री शांतिनाथ भगवान की 9'' ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर वीर सं.
. 2511 पोष वदि 6 का लेख है। 2-4 श्री जिनेश्वर भगवान की 3.5", 1.5", 1.5" ऊँची प्रतिमाएँ हैं। 5. श्री जिनेश्वर भगवान की 3.5" ऊँची चतुर्विंशति प्रतिमा है। इस पर सं. 1296
माघ सुदि 6 का लेख है। 6. श्री पार्श्वनाथ भगवान की 3.7" ऊँची प्रतिमा है। इस पर मूल संघ का लेख
2
7. श्री पार्श्वनाथ भगवान की 3.5" ऊँची प्रतिमा है। इस पर संवत् 1656 का लेख
8-9 श्री पार्श्वनाथ भगवान की 3.5" (मय स्टेण्ड) व 1.7" ऊँची प्रतिमा है।
Jain
a tion International
For Personale D
ale Use Only
www.jainelibrary.org
(71)