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________________ 2. 3. भूतल पर उपाश्रय व ज्ञान भण्डार है प्रथम मंजिल पर निम्न प्रतिमाएं स्थापित हैं : 1. श्री हरिभद्र सूरि (मूलनायक ) की श्वेत पाषाण की 41 " ऊँची प्रतिमा है। 4. 5. 1. 2. 6. दोनो तरफ : Jain Jucation International श्री हरिभद्र सूरि स्मृति मंदिर, चित्तौड़गढ़ श्री याकिनी महत्तरा ( साध्वी ) धर्ममाता (मूलनायक के ऊपर) की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 यह मंदिर पाडनपोल के बाहर (चित्तौड़गढ़ किले पर जाते समय प्रथम दरवाजे के बाहर ) सड़क के किनारे स्थित है। यह नूतन 35 वर्ष पूर्व का निर्मित मंदिर है। इसके संस्थापक श्री जिन विजय जी हैं । श्री हरिभद्र सूरि स्मृति जैन मन्दिर, पाइनपोल चित्तौड़गढ़ श्री जिनभद्रसूरि (मूलनायक के दाए) की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। For Persol 133 v श्री जिनदत्त सूरि (मूलनायक के बाएं) की श्वेत पाषाण की 13" ऊँची प्रतिमा है। श्री जिनभद्र की श्वेत पाषाण की 25" ऊँची खड़ी प्रतिमा है । श्री वीरभद्र की श्वेत पाषाण की 25" ऊँची खड़ी प्रतिमा है । CONCOL श्री जिनेश्वर सूरि की श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा है । श्री अभयदेव सूरि की श्वेत पाषाण की 15" ऊँची प्रतिमा है। Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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