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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
किया गया है।
श्री शांतिनाथ भगवान का मंदिर - चित्तौड़ किला
____ यह घूमटबंद मंदिर चित्तौड़गढ़ किले के रामपोल के आगे जाकर पुराना राजमहल के पास उत्तर की ओर स्थित है, यह एक छोटा कलात्मकमंदिर संवत् 1232 में बनाने का उल्लेख है। इसका वर्णन अनुच्छेद नं. 3 में
करीब 1000 वर्ष प्राचीन है और संवत् 1505 में प्राचीन मंदिर के स्थान पर (संभवतया मुगलों द्वारा नष्ट होने पर )महाराणा कुम्भा के मंत्री श्री वेला ने नूतन मंदिर
"श्रृंगार चौरी" बनवाकर श्री शांतिनाथ भगवान का मंदिर की प्रतिमा स्थापित की। जिसकी प्रतिष्ठा श्री जिनसेनसूरि द्वारा सम्पन्न हुई। उस समय इसका नाम अष्टोपदोवतार शांति जिन चित्य था। जिसे "श्रृंगार चौरी'कहते हैं। इसमें कोई प्रतिमा नहीं है
प्रतिमा की कला अद्वितीय रही है ।
भाव मण्डल की ओर पूरी वेदी पर सुंदर KOROLOGटाईल्स लगी है । मंदिर में निम्न प्रतिमाएं
श्री शांतिनाथ भगवान की श्वेत पाषाण की 31" ऊँची प्राचीन प्रतिमा है। इस पर सं. 1501 का लेख है जो श्री सोमसुंदर सूरि द्वारा प्रतिष्ठित है।
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