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मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2
श्री जिनेश्वर भगवान की 12' ऊँची चतुर्विशंति प्रतिमा है। इस पर वीर सं. 2497 का लेख है। श्री जिनेश्वर भगवान (अजितनाथ) की 6" ऊंची प्रतिमा है। इस पर सं.
अस्पष्ट लेख है। 3. श्री सिद्धचक्र यंत्र गोलाकार 4" का है। इस पर अस्पष्ट लेख है। 4. देवी की घोड़े पर सवार 4" ऊंची प्रतिमा है। बाहर आलिओं में :
1-2 श्री क्षेत्रपाल (माणिभद्र) की 13" व 8“ ऊंची मूर्ति है। 3. चक्रेश्वरी देवी की (घोड़े पर सवार) 11" ऊंची प्रतिमा है। सभामण्डप में: 1. क्षेत्रपाल की 11" ऊंची मूर्ति है।
मंदिर का उपाश्रय दो पोषधशाला है। 14 बीघा जमीन है जो लीज पर दी जाती है। जिसकी वार्षिक 29000/रु. आते है। दरवाजा बहुत छोटा है। वार्षिकध्वजा कार्तिक शुक्ला 15 कोचढ़ाई जाती है। कांच की जड़ाई की हुई है, बाहर चित्रकारी की हुई है। नीचे टाइल्स लगी
परिक्रमा कक्ष में तीन खण्डित मूर्तियां है। मंदिर की व्यवस्था समाज की ओर से निम्न सदस्यों द्वारा की जाती है श्री संतोषकुमार जीपोरवाल, मो.: 93015 33565 श्रीरतनलालजीमोगरा, मो.: 90090 80106
जो आग्रह छोड़ दे, वह 'अक्लमंद' है।
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